दोस्तों आपके मन में भी कभी ना कभी ये विचार तो जरूर आया होगा की दिवाली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा क्यों की जाती हैं ?
तो दोस्तों यह बात है उस समय की जब माता लक्ष्मी अपने महालक्ष्मी स्वरूप में इंद्रलोक में राज करने के लिए पहुंची जिससे कि देवताओं की शक्तियां और भी ज्यादा बढ़ जाती है |
जिससे कि भगवान इंद्रदेव बहुत ही ज्यादा घमंडी हो गये और उन्हें लगा कि उन्हें दुनिया की कोई भी शक्ति पराजित नहीं कर सकती है क्योंकि उनके साथ माता लक्ष्मी है
इसीलिए जब वो एक दिन हाथी पर जा रहे थे और तभी एक महर्षि भी उसी मार्ग से जा रहे थे जिन्होंने एक माला पहन रखी थी उन्होंने इंद्रदेव के सम्मान में अपनी माला इंद्रदेव की तरफ फेंकी
लेकिन इंद्रदेव साइड हट गए और वह माला हाथी के गले में गिर गई और फिर हाथी ने उसे नीचे गिरा दिया जिससे कि महर्षि बहुत ज्यादा नाराज हो गए और उन्होंने श्राप दे दिया कि
तुम जिस देवी की वजह से घमंड कर रहे हो वह देवी पाताल लोक चल जाएगी और श्राप की वजह से माता लक्ष्मी पाताल लोक चली गई जिससे कि देवता बहुत ज्यादा कमजोर हो गए
और राक्षसों की शक्तियां बढ़ गई जिसके बाद सभी देवताओं और राक्षसों ने मिलकर जब समुद्र मंथन किया तो समुद्र मंथन से कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को भगवान धन्वंतरि समुद्र से निकले
इसीलिए हम धनतेरस के दिन धन्वंतरी भगवान की पूजा करते हैं और फिर कार्तिक मास की अमावस्या को यानी की धनतेरस के दो दिन बाद माता लक्ष्मी समुद्र मंथन से बाहर निकली
इसीलिए हम दीपावली के पावन अवसर माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं और दीप जलाकर हम प्रभु श्री राम का अयोध्या में स्वागत करते हैं |