दोस्तों कहते हैं कि द्वारिका नगरी के डूबने का कारण श्री कृष्ण जी के बेटे साम्ब को मिला श्राप था
कहते हैं कि एक बार श्री कृष्ण जी के पुत्र साम्ब अपने दोस्तों के साथ हंसी ठिठोली कर रहे थे तभी द्वारिका में महर्षि वाल्मीकि और कण्व ऋषि आते हैं ।
तभी श्री कृष्ण जी के पुत्र उन महर्षियों से हंसी ठिठोली करने की सोचते हैं और अपने मित्रों के साथ एक गर्भवती महिला का रूप धारण करके महर्षियों के पास आते हैं
और कहते हैं की ऋषि मुनियों बताओ कि इस महिला के गर्भ से क्या उत्पन्न होगा तभी उन महर्षियों को बहुत ज्यादा क्रोध आ जाता है युवकों के इस परिहास से
और वह गुस्से में आकर कहते हैं कि तुम्हारे गर्भ से एक लोहे का मूसल उत्पन्न होगा जो कि तुम्हारे पूरे यादव वंश और द्वारिका नगरी के डूबने का कारण बनेगा
और अगले दिन ही कुछ ऐसा ही हुआ कृष्ण जी के पुत्र साम्ब ने एक लोहे के मुसल को पैदा किया जिसे उग्रसेन मैं छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़कर समुद्र में फिकवा दिया था
जिसे एक मछली ने निगल लिया था और जब वह मछली एक मछुआरे के हाथ लगी और उसने उसे मछलियों को काटा तो उसके अंदर लोहे के टुकड़े निकले जिसे उसने एक लोहार को भेज दिया और लोहार में उसे एक तीर बनाकर शिकारी को बेच दिया
और अंत में जाकर वही तीर श्री कृष्ण जी को लगा जिसकी वजह से उनकी मौत हो गई और उधर उनके सभी प्रियजनों की भी मौत इसी लोहे के मुसल की वजह से हो गई थी
इसीलिए कहते हैं कि एक श्राप की वजह से ही श्री कृष्ण जी और उनके पूरे यादव वंश का सर्वनाश हो गया था |