दोस्तों दिल्ली की "भूतिया हवेली" के बारे में लोग कहते हैं की इस हवेली में आज भी अदृश्य ताक़तें रहती हैं...

और यही बाते सुनकर चार दोस्तों ने हिम्मत दिखाई — और वो एक रात 11 बजे हवेली के अंदर घुसे, जहाँ दशकों से कोई नहीं गया था।

और जैसे ही उन्होंने दरवाजा खोला तो दरवाज़ा चरमराया... दीवारों से झड़ता पलस्तर और एक अजीब सी फुसफुसाहट उन्हें सुनाई दी  

और जब वो और अंदर गये तो हॉल के बीच पड़ा था टूटा हुआ लोहे का पिंजरा...लेकिन तभी अचानक उसके अंदर कुछ हिला! 

लेकिन अगले ही पल —टॉर्च झिलमिलाई, और उन्हें दीवार पर दिखा एक लंबा, काला साया…

और उसी समय तीन दोस्त अंधेरे में समा गए — अब बस करण अकेला था! 

और जैसे ही वो बाहर निकल और उसने देखा उसकी तो बाईक है लेकिन उन तीनो की बाइक्स भी गायब थी 

और आज भी करण सब को कहता है — "मेरे दोस्त उसी हवेली में हैं..."

आखिरकार क्या हुया था उन सबके साथ???