दोस्तों 10 अप्रैल 1912 को दुनिया का सबसे बड़ा जहाज अपनी पहली यात्रा के लिए निकलता है लेकिन यात्रा शुरू होने के केवल 4 दिन बाद ही 14 अप्रैल 1912 को रात के लगभग 11:40 पर यह जहाज एक आईसबर्ग ( हिमखंड ) से टकरा जाता है और हिमखंड से टकराने के बाद इस जहाज में एक होल ( छेद ) हो जाता है जिसके जरिये पानी बहुत तेजी से इस शिप के अंदर भरने लगता है जिसके बाद इस जहाज के अंदर जितनी भी मोटर थी उन सभी को ऑन ( चालू ) किया जाता है और पानी को बाहर निकालना की कोशिश की जाती है लेकिन जिस रफ्तार से पानी जहाज के अंदर भर रहा था उस रफ्तार से पानी बाहर नहीं निकाल पाया.
और उस रात को यह जहाज 2:20 पर पुरी तरह से अटलांटिक महासागर में डूब जाता है और उस समय अटलांटिक महासागर का तापमान -2० C था दोस्तों इस जहाज की लॉन्चिंग के समय बोला गया था की इस जहाज को भगवान खुद भी धरती पर आकर नही डूबा सकते है और इस घटना के करीब 73 साल बाद साल 1985 को टाइटैनिक जहाज का मालवा अटलांटिक महासागर के अंदर 4 किलोमीटर नीचे मिलता है लेकिन काफी ज्यादा कोशिश करने के बावजूद भी इस जहाज के मलबे को बाहर नहीं निकाला जा सका तो चलिए आज की इस पोस्ट में जानते Titanic Ship की पूरी Story के बारे |
टाइटैनिक शिप कैसे डूबी
Titanic Ship का निर्माण और खर्च
दोस्तों इस पूरी कहानी की शुरुआत होती है 31 मार्च 1909 को जब दुनिया का सबसे बड़े जहाज के निर्माण करने का काम उत्तरी आयरलैंड के बेलफास्ट में स्थित हारलैंड एंड वूल्फ शिपयार्ड कंपनी ने इस जहाज को बनाने का काम शुरू किया जिसे उस समय 150 से ज्यादा जहाज बनाने का अनुभव था.
और उस समय Titanic Ship को बनाने के लिए 15 लाख ब्रिटेनी पाउंड का खर्च आया था यानी की आज के लगभग 192 मिलियन डॉलर का खर्चा आया था और हम बात करें भारतीय रूपये में तो उस समय टाइटैनिक शिप को बनाने में 14 अरब करोड़ रुपए का खर्चा आया था और इस जहाज को बनाने में 3,000 कारीगरों ने 2 साल तक दिन रात कठिन मेहनत की थी और बहुत से लोगो को चोटे भी आई थी और दो लोगो की तो मौत भी हो गयी थी |
Titanic Ship की रुपरेखा
दोस्तों जैसा की मैंने आपको बताया की टाइटैनिक शिप उस समय का दुनिया का सबसे बड़ा शिप था दोस्तों इस जहाज की कुल लम्बाई 882 फीट 9 इंच थी और इसका भार 46,328 टन था ये एक कोयले से चलने वाला जहाज था और ये जहाज समुंदर में 43 km/h की रफ्तार से चल सकता था और उसके ऊपर चार चिमनिया थी |
जो की इतनी बड़ी थी इनके अंदर से दो ट्रेन एक साथ निकल सकती थी लेकिन दोस्तों चोथी चिमनी काम की नही थी चोथी चिमनी को केवल जहाज के भार को संतुलित करने के लिए ही बनाया गया था और इसके अंदर 3,549 लोग एक साथ यात्रा कर सकते थे |
Titanic Ship की लोंचिंग
दोस्तों 3,000 कारीगरों ने 2 साल तक दिन रात कठिन मेहनत करने के बाद 1911 को पहली बार दुनिया को दिखाने के लिए इस जहाज को समुद्र में उतारा गया जिसे देखने के लिए करीब 1,0000 लोगों की भीड़ एकत्रित हुई.
और उसे समय बोला ये गया था की ये दुनिया का सबसे बड़ा शिप है और एकमात्र ऐसा सिर्फ है जिसे खुद भगवान भी धरती पर उतारकर नहीं डूबा सकते हैं और इस स्टेटमेंट के करीब 1 साल बाद 10 अप्रैल 1912 को यह शिप अपनी पहली यात्रा के लिए निकलता है |
Titanic Ship में खाने-पीने की व्यवस्था
दोस्तों 10 अप्रैल 1912 को ये शिप अपने साथ 86 हजार पाउंड मांस 40 हजार अंडे 40 टन आलू 7,000 सलाद 3,500 पाउंड प्याज और करीब 26 हजार सेव और 20 लाइफ वोट्स को लेकर अपनी पहली यात्रा में 2,223 यात्रियों को लेकर समुद्र में उतरता है यानी की इस जहाज में खाने की व्यवस्था किसी भी 5 स्टार या फिर 7 स्टार होटल से कम नही थी |
Titanic Ship captain
दोस्तों उस समय टाइटैनिक जहाज के कप्तान एडवर्ड जॉन स्मिथ थे जो की 1,517 लोगो के साथ ही समुंदर में डूब जाते है |
टाइटैनिक जहाज के मालिक
दोस्तों टाइटैनिक जहाज के मालिक का नाम J. Bruce Ismay थे जो टाइटैनिक जहाज की पहली और आखिरी यात्रा में टाइटैनिक जहाज में ही सवार थे और इस शिप का ओपेरेटर व्हाइट स्टार लाइन था |
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टाइटैनिक जहाज के अंदर का माहोल और एक दिन में इंधन की खपत
दोस्तों इस शिप के अंदर यात्रियों के खाने पीने की व्यवस्था बहुत ही ज्यादा बढ़िया थी या फिर हम कहें तो आज के 7 स्टार या 5 स्टार होटल से भी कही बढ़िया मौजूद थी |
इस शिप के अंदर एक स्विमिंग पूल एक जिम और दो नाई की दुकान भी मौजूद थी दोस्तों टाइटैनिक जहाज अपनी यात्रा के एक दिन में 800 टन से ज्यादा कोयले की खपत करता था और 17,000 गैलन से ज्यादा पानी का उपयोग करता था |
टाइटैनिक शिप की पहली और आखरी यात्रा
दोस्तों टाइटैनिक शिप ने अपनी पहली यात्रा इंगलैंड के साउथम्पटन से न्यूयॉर्क ( अमेरिका ) तक की थी और दोस्तों जब सब कुछ सही चल रहा था तभी टाइटैनिक शिप के रडार को 12 अप्रैल 1912 को उसके रास्ते में छह बड़े हिमखंड होने की चेतावनी मिलती है |
लेकिन इन चेतावनियों को शिप के मलिक J. Bruce Ismay ने अवॉइड ( अनदेखा ) करने के लिए कहा उनका बोलना था की यह जहाज इतना बड़ा है की अगर किसी आइसबर्ग से टकरा भी जाता है तो इसका कुछ भी नहीं बिगड़ेगा और अगर आइसबर्ग( हिमखंड ) ज्यादा बड़ा हुआ तो वह टाइटैनिक शिप की डायरेक्शन ( दिशा ) को मोड देगा इससे ज्यादा कुछ भी नही होगा |
और ना ही टाइटैनिक शिप को कुछ भी नहीं होगा और इसीलिए टाइटैनिक शिप के कैप्टन ने स्पीड को कम करने के बजाय स्पीड को और भी ज्यादा बड़ा दिया और उस समय टाइटैनिक शिप की स्पीड लगभग 41 किलोमीटर प्रति घंटे थी |
लेकिन उनका यह अनुमान गलत निकाला क्योंकि उनके सामने आने वाला आइसबर्ग उनकी सोच से काफी ज्यादा बड़ा था और जब टाइटैनिक शिप के कैप्टन को जब वो आइसबर्ग दिखाई दिया तो उनके पास एक्शन लेने के लिए केवल 37 सेकंड बचे थे |
और तब कैप्टन ने जहाज को लेफ्ट मोड़ने के लिए कहा और जहाज को लेफ्ट मोड भी लिया गया लेकिन टाइटैनिक शिप की स्पीड उस समय इतनी ज्यादा थी की वह पुरी तरह से लेफ्ट नही मुड़ पाया और 14 अप्रैल की रात को 11:00 बाजकर 40 मिनट पर यह शिप उस आइसबर्ग से टकरा जाता है |
और उस हिमखंड से टकराने के बाद इस शिप में होल हो जाता है जिसके जरिये काफी तेजी से पानी उस शिप के अंदर प्रवेश करने लगता है जिसके बाद इस शिप में जितनी भी मोटर थी उन सभी को चलाया गया है लेकिन जिस रफ्तार से पानी शिप के अंदर भर रहा था उस रफ्तार से पानी बाहर नहीं निकाल पाया |
इसके बाद टाइटैनिक शिप के आसपास सफर कर रहे शिप से कांटेक्ट करने की कोशिश की जाती है लेकिन टक्कर के बाद टाइटैनिक शिप का रडार पुरी तरह से खराब हो चुका था और जब टाइटैनिक शिप के कैप्टन को कोई भी उम्मीद नहीं दिखाई दी तो यात्रियों के बचाव की प्रक्रिया शुरू की गई.
और शिप में जितनी भी लाइफ वोट्स थी उन सभी को समुद्र में उतरा गया लेकिन उस समय टाइटैनिक शिप में केवल 20 लाइफ वोट्स ही मौजूद थी क्योंकि टाइटैनिक शिप के कैप्टन को लगता था की इनकी जरूर कभी भी नहीं पड़ेगी |
और दोस्तों ये लाइफ वोट्स केवल 1178 लोगों को ही बचाने में सक्षम थी जिसके बाद लोगों को बचाने की प्रक्रिया शुरू हुई और महिलाओं और बच्चों को प्राथमिकता दी गई हालांकि शिप में पुरी तरह से पानी भरने के बाद में भी म्यूजिशियन अपनी आखिरी सांस तक भी गाना बजाते रहे थे |
और 15 अप्रैल की रात को 2:20 पर ये शिप पुरी तरह से अटलांटिक महासागर में डूब जाता है उस समय अटलांटिक महासागर का तापमान -2°c से भी ज्यादा था और जिस शिप के बारे में ये बोला गया था की इस शिप को भगवान खुद भी नहीं डूबा सकते हैं वह शिप केवल दो घंटे 40 मिनट में ही पुरी तरह से अटलांटिक महासागर में डूब जाता है |
जिसमें 1517 से ज्यादा लोगों की जान चली जाती है और टाइटैनिक शिप का पहला सफर उसका आखरी सफर बन जाता है |
टाइटैनिक शिप का मलवा
दोस्तों इस घटना के काफी सालों बाद तक टाइटैनिक शिप के मलवे को ढूंढने की कोशिश की गई और करीब इस घटना के 70 साल बाद 1985 को टाइटैनिक जहाज के मलबे को रॉबर्ट बैलार्ड और उनकी टीम ने खोज निकाला जो की अटलांटिक महासागर में 4 किलोमीटर नीचे पड़ा था जो फिलहाल बहुत सी मछलियों का घर और काफी जर्जर हो चूका है और जानकारों के अनुसार आने सालो ये मलवा पूरी तरह से मिटटी में मिल जायेगा |
टाइटैनिक शिप के डूबने के पीछे की सबसे बड़ी वजह
दोस्तों इन 70 सालों में टाइटैनिक शिप को लेकर बहुत स्टोरी और थोरिज़ देखने को मिली जिसमें टाइटैनिक शिप के डूबने की वजह निर्माता की गलतियां और टाइटैनिक शिप के मलिक के लालच और उनके ब्लू बैंड हासिल करने की होड़ को लेकर मिली |
जिनमें सबसे बड़ी गलती थी की उस समय टाइटैनिक शिप में एक भी दूरबीन मौजूद नहीं थी हालांकि टाइटैनिक शिप में दूरबीन मौजूद थी लेकिन वो किसी लॉकर में रखी हुई थी और उसकी चाबी नहीं मिल रही थी |
और दूसरी टाइटैनिक शिप के डूबने की वजह ब्लू बैंड को हासिल करना भी बताया गया है दोस्तों ब्लू बैंड उस शिप को दिया जाता है जो की अटलांटिक महासागर को सबसे कम समय में पार करती है और टाइटैनिक शिप के मालिक चाहते थी की उन्हें किसी भी हालत में ब्लू बैंड मिल जाये इसीलिए उन्होंने टाइटैनिक शिप की स्पीड को कम नही करने दिया |
और दोस्तों बहुत सारी थोरिज़ में टाइटैनिक शिप के डूबने की वजह उसके निर्मातावो की गलतिया भी बताई गई है क्योंकि टाइटैनिक शिप का निर्माण करने वाले अधिकतर कारीगर अकुशल थे |
निष्कर्ष
दोस्तों मैं आशा करता हूँ की आपको ये टाइटैनिक जहाज के बारे में जानकारी जरुर पसंन्द आई होगी मैंने आपको बड़ी ही सरल भाषा में बताया है की टाइटैनिक जहाज का निर्माण कैसे हुआ और कैसे टाइटैनिक जहाज सुंदर में डूबा इसलिए प्लीज इस पोस्ट को अपने दोस्तों से शेयर जरुर करे |
मैं विकास राजपूत आपका अपनी वेबसाइट पर स्वागत करता हूं यहां पर आपको मैं काफी ज्यादा बेहतरीन और यूनिक कंटेंट देने की कोशिश करता हूं क्योंकि मैं जिस विषय पर लिखता हूं उसकी मैं पहले बहुत ज्यादा रिसर्च करता हूं उसके बाद ही लिखता हूं इसीलिए आप मुझ पर आँख बंद करके विश्वस कर सकते है |
4 thoughts on “टाइटैनिक शिप कैसे डूबी: 111 साल पहले हुए हादसे की पूरी कहानी,टाइटैनिक जहाज के डूबने का क्या कारण था”