दोस्तों दिल्ली सिर्फ़ अपनी चकाचौंध, इतिहास और भीड़भाड़ के लिए ही नहीं जानी जाती है, बल्कि यहाँ कई ऐसी पुरानी इमारतें भी हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि वहाँ आज भी कुछ अदृश्य ताक़तें मौजूद हैं यानी कि इन पुरानी इमारतों और भवनों में भूत प्रेत मौजूद हैं इन्हीं में से एक शहर के बाहरी हिस्से में मौजूद एक जर्जर, हवेली, जिसे लोग “भूतिया हवेली” के नाम से जानते हैं।
स्थानीय लोग बताते हैं कि यह हवेली अंग्रेज़ों के ज़माने की है ये कई दशकों से यह खाली पड़ी है इनकी खिड़कियों पर जंग लगे शटर, टूटी दीवारों पर चिपका हुआ झड़ता पलस्तर और अंदर पसरी अजीब-सी खामोशी, किसी भी इंसान की रूह काँपाने के लिए काफ़ी है। दिन में भी वहाँ सन्नाटा और डर का माहौल बना रहता है, और रात के समय तो वहां पर लोगों की जाने से भी रूह कांपती हैं।
राम राम दोस्तों मैं हु विकास राजपूत |
चार दोस्तों की सच्ची डरावनी कहानी
कहानी की शुरुआत
दोस्तों ये कहानी शुरू होती है दिल्ली यूनिवर्सिटी के चार दोस्तों से – अमन, रितिक, विशाल और करण इस चारों को एडवेंचर और रोमांच काफ़ी पसंद था वे अक्सर रात में खाली सड़कों पर बाइक चलाते, नई जगहों की खोज करते और अपने कैमरों में सब रिकॉर्ड करते।
एक दिन किसी स्थानीय चायवाले से उन्हें इस हवेली के बारे में पता चला चायवाले ने हँसते हुए इनसे कहा की –
“साहब, अगर हिम्मत है तो रात में उस भुतिया हवेली के अंदर जाकर दिखाओ… जो भी वहाँ गया, कभी लौटकर नहीं आया।”
ये बात सुनकर उन चारों दोस्तों की जिज्ञासा और बढ़ गई और उन्होंने तय किया कि इस बार उनके एडवेंचर का ठिकाना यही हवेली होगी।
चारों दोस्त गए हवेली के अंदर
दोस्तों बात है 29 सितम्बर की रात थी जब घड़ी में करीब रात के साढ़े ग्यारह बज रहे थे तब ये चारों दोस्त अपनी बाइक्स हवेली के बाहर खड़ी करके अंदर जाने लगे हवेली का बड़ा सा लकड़ी का दरवाज़ा आधा टूटा हुआ था और उसे खोलते ही ऐसी चरमराहट हुई मानो किसी ने कानों के पास लोहे की छड़ें रगड़ दी हों और उस समय अंदर अंधेरा था इसीलिए मोबाइल टॉर्च की रोशनी में दीवारों पर बनी उखड़ी हुई पेंटिंग्स और टूटी मूर्तियाँ दिख रही थीं और ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने जल्दी में सब छोड़कर हवेली से भागने की कोशिश की हो???
हवेली के अंदर से आई डरावनी आवाज़
अभी वे अंदर कुछ ही कदम बढ़े थे कि अमन ने कहा –
“यार, तुम्हें आवाज़ सुनाई दे रही है?”
बाकी तीनों ने कान लगाए, और सचमुच… कहीं दूर से हल्की-सी फुसफुसाहट आ रही थी जैसे कोई औरत बहुत धीरे-धीरे कुछ मंत्र पढ़ रही हो।
“शायद हवा है,” विशाल ने कहा और हँसकर टॉर्च घुमा दी लेकिन उस हँसी में भी घबराहट साफ झलक रही थी।
हवेली के अंदरूनी हिस्से में
और जैसे-जैसे वे आगे बढ़े, हवेली का माहौल और डरावना होता गया सीढ़ियों पर जाले लटके थे, छत से धूल गिर रही थी और हर जगह चूहों की भागदौड़ सुनाई दे रही थी और जैसे ही वे हवेली के पिछले हिस्से तक पहुँचे जहां पर एक बड़ा हॉल था जिसमें बीचों बीच लोहे का टूटा-फूटा पिंजरा रखा था। पिंजरे को देखकर करण ने मज़ाक किया –
“लगता है यहाँ किसी को कैद करके रखा जाता था।”
लेकिन तभी अचानक, चारों को लगा जैसे पिंजरे के भीतर कोई हल्की-सी परछाई हिली हो वे सब ये देखकर चौंक गए।
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उनके साथ घटी रहस्यमयी घटना
और उस जैसे ही वो उस हवेली के हॉल की दीवार के पास पहुंचे तो उन्होंने देखा कि उस हवेली पर बनी दरारों से ठंडी हवा अंदर आ रही थी लेकिन तभी अचानक उनकी टॉर्च की रोशनी अपने आप बंद-बंद होकर झिलमिलाने लगी।
अमन, रितिक और विशाल ने देखा कि हॉल के कोने में एक लंबा काला साया खड़ा है और वो साया धीरे-धीरे उनकी ओर बढ़ने लगा और ये देखकर डर के मारे अमन चीखा और भागने लगा…..
रितिक और विशाल भी उसके पीछे दौड़े लेकिन करण वहीं खड़ा रह गया और उसने देखा कि उसके तीनों दोस्त अचानक अंधेरे में समा गए टॉर्च की रोशनी जलते ही वे तीनों कहीं दिखाई नहीं दिए अब करण अकेला था… पूरे हॉल में और वो काफी ज्यादा डरा हुआ था।
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हवेली से आई चिल्लाने की आवाज़
और इसके बाद ही अचानक हवेली के हर कोने से कानफाड़ू चीखें गूँजने लगीं जैसे की सैकड़ों लोग एक साथ मदद के लिए पुकार रहे हों करण अपने कान बंद करके बाहर की ओर भागा……और वो किसी तरह दरवाज़ा पार करके सड़क पर आ गया और बाहर आकर उसने देखा कि उसकी बाइक वहीं खड़ी है, लेकिन उसके बाकी तीनों दोस्तों की बाइक्स… गायब थीं।
करण ने सुनाई अपनी भूतिया कहानी
दोस्तों आज भी करण अपने दोस्तों को यही कहानी सुनाता है की–
“मेरे तीनों दोस्त उसी हवेली में खो गए मैं कसम खाता हूँ कि मैंने उन्हें अपनी आँखों से अंधेरे में समाते देखा हैं लेकिन मुझे नहीं पता उनके साथ क्या हुआ… लेकिन मैं जानता हूँ कि वो हवेली आज भी उन्हें पकड़े बैठी है।”
हालांकि करीब दो महीने तक पुलिस ने खोजबीन की, लेकिन तीनों का कोई सुराग नहीं मिला जिसकी वजह से ये केस आज तक अधूरा है।
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हवेली का रहस्य
स्थानीय लोग मानते हैं कि उस हवेली में कोई पुरानी आत्मा है वहीं कुछ कहते हैं कि अंग्रेज़ों के ज़माने में वहाँ क्रूर अत्याचार होते थे और उन्हीं लोगों की आत्माएँ अब भी वहीं भटक रही हैं।
जो भी हो, एक बात पक्की है –दिल्ली की यह भूतिया हवेली आज भी लोगों को अपनी ओर खींचती है, लेकिन अंदर से सिर्फ़ खामोशी और डर ही लौटता है।
क्या सचमुच करण के तीनों दोस्त गायब हुए… या फिर यह सिर्फ़ एक डरावनी( Real Horror Story In Hindi 2025 ) दास्तान है?
यह सवाल आज भी अनसुलझा है |

मैं विकास राजपूत आपका अपनी वेबसाइट पर स्वागत करता हूं यहां पर आपको मैं काफी ज्यादा बेहतरीन और यूनिक कंटेंट देने की कोशिश करता हूं क्योंकि मैं जिस विषय पर लिखता हूं उसकी मैं पहले बहुत ज्यादा रिसर्च करता हूं उसके बाद ही लिखता हूं इसीलिए आप मुझ पर आँख बंद करके विश्वस कर सकते है |