हवाई जहाज आपस में क्यों नही टकराती है: हवाई जहाज एक दूसरे से टकराने से कैसे बचते हैं

दोस्तों अपने कभी ना कभी हवाई जहाज की सवारी तो जरूर की होगी और आपने आज तक एरोप्लेन क्रैश यानी कि एरोप्लेन हादसों के बारे में भी जरूर सुना होगा लेकिन दोस्तों क्या आपने कभी सोचा है कि आखिरकार आसमान में इतनी सारी एयरप्लेन हर दिन उड़ान भरती हैं लेकिन कोई भी एयरप्लेन आपस में टकराती क्यों नहीं है क्या कारण है इसके पीछे की कोई भी एयरप्लेन आपस में टकराती नहीं है.

हालांकि आज तक का सबसे बड़ा एरोप्लेन हादसा भी दो एरोप्लेन के आपस में टकराने से ही हुआ था जब दो एयरप्लेन उड़ान भर रही थी तब दोनों आपस में टकरा गई थी और दुनिया का सबसे बड़ा प्लेन हादसा हुआ था लेकिन हमारा यहां पर सवाल ये है कि प्लेन आसमान में एक दूसरे से क्यों नहीं टकराती है क्या कारण है इसके पीछे चलिए जानते हैं आज की इस पोस्ट मे।

 

हवाई जहाज आपस में क्यों नहीं टकराती है

दोस्तों दुनिया में हर 1 मिनट में 270 से ज्यादा एरोप्लेन उड़ान भरते रहते है और लोगों को उनकी डेस्टिनेशन पर पहुंचते है लेकिन सवाल ये है कि जब इतने सारे एयरप्लेन हर रोज उड़ान भरते हैं तो भी ये हवाई जहाज आसमान में टकराते क्यों नहीं है जबकि हमारी धरती पर तो गाड़ियां आपस में टकराती रहती हैं तो दोस्तों इसके पीछे बहुत सी वजह है एक एयरप्लेन को उड़ाने के लिए बहुत सारे लोगों का हाथ होता है.

आसमान में तो केवल एयरप्लेन को पायलट कंट्रोल कर रहा होता है वो तो केवल एक मोहर होता है जबकि असली काम तो नीचे बैठा कंट्रोल रूम करता है यानी की कंट्रोल रूम के लोग करते है नीचे बैठा पूरा कंट्रोल रूम उस एरोप्लेन की पल-पल की खबर रखता है और जो कंट्रोल रूम द्वारा आदेश दिया जाता है पायलट वही करता है हवाई जहाज के आपस में ना टकराने के पीछे निम्न कारण है |

कंट्रोल रूम द्वारा कंट्रोल करना

दोस्तों जब कोई हवाई जहाज उड़ान भरने के लिए तैयार होता है तो वह उड़ान भरने से लेकर यात्रा समाप्त होने तक पूरी तरह से कंट्रोल रूम से कनेक्ट होता है हालांकि आपने बहुत बार ऐसा सुना भी होगा कि कंट्रोल रूम से संपर्क टूटने की वजह से प्लेन हादसा हो गया इसी वजह से कंट्रोल रूम को इतने पावरफुल सेंसरों से बनाया जाता है कि किसी भी परिस्थिति में एरोप्लेन से संपर्क न टूटे.

और हर एक एरोप्लेन के पीछे बहुत बड़ी टीम काम कर रही होती है और ये कंट्रोल रूम एरोप्लेन की हर एक हरकत पर नजर रखता है जैसे कि एरोप्लेन कितनी हाइट पर उड़ रही है एरोप्लेन के आगे क्या आ रहा है एरोप्लेन के पीछे क्या है और क्या एरोप्लेन के आगे कोई तूफान तो नहीं है क्या एयरप्लेन पूरी तरह से सही उड़ रही है इन सभी पर कंट्रोल रूम के द्वारा नजर रखी जाती है और अगर कंट्रोल रूम को थोड़ी भी गड़बड़ दिखाई देती है.

तो वह तुरंत एयरप्लेन के पायलट से संपर्क करते हैं और उस प्रॉब्लम को ठीक करने के लिए बोलते हैं मतलब कि कहने का सीधा मतलब ये है कि आसमान में प्लेन को चला तो पायलट रहा होता है लेकिन उसे कंट्रोल कंट्रोल रूम द्वारा किया जाता है और ज्यादा से ज्यादा हादसों से बचने की कोशिश की जाती है।

हवाई जहाज आपस में क्यों नही टकराती है: हवाई जहाज एक दूसरे से टकराने से कैसे बचते हैं

हर एक एरोप्लेन का फिक्स उचाई पर उड़ना 

दोस्तों जब कोई एयरप्लेन उड़ान भरता है और उड़ान भरने के बाद वह जब अपनी अधिकतम ऊंचाई पर पहुंच जाता है तब उसकी कंट्रोल रूम द्वारा सारे चीजों पर नजर रखी जाती है और जब कंट्रोल रूम को लगता है कि आगे पूरी तरह से मौसम साफ है और आगे कोई भी प्लेन नहीं आ रहा है तो उस एयरप्लेन को इस ऊंचाई पर उड़ने रहने की परमिशन दी जाती है लेकिन जब कोई एयरप्लेन उसी दिशा में गलती से उसी हाइट पर आ जाता है.

तो कंट्रोल रूम द्वारा उस दूसरे एरोप्लेन से कांटेक्ट किया जाता है और उसकी हाइट को कम या ज्यादा करने का आदेश दिया जाता है जिससे कि एरोप्लेन कभी आपस में नहीं टकराते है उनकी हाइट में काफी अंतर रहता है एक एरोप्लेन हाइट से बचकर निकल जाता है मतलब की एरोप्लेन के आपस में टकराने के पीछे सबसे बड़ा हाथ उनकी हाइट का भी माना जाता है क्योंकि जब कोई एयरप्लेन किसी दूसरे एरोप्लेन की विपरीत दिशा में आ रहा होता है तो केवल उसकी हाइट का ही अंतर होता है जिसकी वजह से वापस में नहीं टकराते हैं।

रडार सिस्टम

दोस्तों जब कोई एयरप्लेन उड़ान भरता है तो वह पूरी तरह से रडार सिस्टम से कनेक्ट होता है और रडार सिस्टम पूरी तरह से उस एरोप्लेन पर नजर रखता है यहां तक कि उस एरोप्लेन की हाइट पर भी नज़र रखता हैं और वह एयरप्लेन फिलहाल किस देश के ऊपर से उड़ान भर रहा है इन सभी बातों पर रडार सिस्टम नजर रखता है और इन सभी की जानकारीयों को कंट्रोल रूम द्वारा कंट्रोल किया जाता है।

सॉफ्टवेयर तकनीक

दोस्तों एयरप्लेन के आपस में टकराने से बचने के लिए एरोप्लेन में बहुत पावरफुल सेंसर और सॉफ्टवेयर्स लगाए जाते हैं जिससे कि अगर कभी एरोप्लेन का संपर्क कंट्रोल रूम से नहीं हो पता है या फिर कंट्रोल रूम से संपर्क टूट जाता है किसी तूफान की वजह से तो पायलट को इन सेंसर की सहायता से पता चल सकता है कि आगे कोई इसी दिशा में एयरप्लेन आ रहा है तो वह हवाई जहाज की उचाई को अपने अनुसार बदल सकता है कम या ज्यादा कर सकता है जिससे की हवाई जहाज आपस में ना टकराये ।

हवाई जहाज आपस में क्यों नही टकराती है: हवाई जहाज एक दूसरे से टकराने से कैसे बचते हैं

दोस्तों ये सभी ऐसे कारण है जिनकी वजह से हवाई जहाज को आपस में टकराने से बचाया जा सकता है और एक हवाई जहाज को उड़ाने के पीछे ये सभी तकनीक काम कर रही होती है जिसकी वजह से प्लेन आपस में नहीं टकराते हैं वहीं सड़क पर चलने वाली कार को आप खुद कंट्रोल कर रहे होते हैं और वह आपकी लापरवाही से टकराती हैं हालांकि कभी-कभी हवाई जहाजो के ये सेंसर और एरोप्लेन के सभी सॉफ्टवेयर फेल हो जाते है.

और एरोप्लेन का कंट्रोल रूम से भी संपर्क नहीं हो पता है जिसकी वजह से प्लेन हादसे हो जाते हैं हालांकि प्लेन हादसों के बाद कंट्रोल रूम के द्वारा ये पता लगाया जा सकता है कि वह एरोप्लेन कहां पर क्रैश हुआ है और कहां पर गिरा है जिससे कि यात्रियों की जान काफी हद तक बचाने की कोशिश की जा सकती है।

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निष्कर्ष

दोस्तों में आशा करता हूं कि आपको ये मजेदार जानकारी बस जरूर पसंद आई होगी मैंने आपको इस पोस्ट के अंदर बड़ी ही सरल और आसान भाषा में ये बताया है कि एयरप्लेन आपस में क्यों नहीं टकराती है जबकि गाड़ियां सड़क पर टकराती रहती हैं मैंने इस पोस्ट के अंदर बहुत ही बारीकी से हर एक बात पर बात की है.

इसीलिए अगर आपको ये पोस्ट थोड़ी बहुत भी इनफॉर्मेटिव लगी हो तो एक बार मै आपसे रिक्वेस्ट करूंगा कि आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों से शेयर जरूर करें मैं विकास राजपूत आपसे आज की इस पोस्ट में विदा लेता हूं मिलता हुँ दूसरी ऐसी ही मजेदार पोस्ट में बहुत ही जल्द |