Real Horror Story Of Mehandipur Balaji: मेहंदीपुर बालाजी में पीछे मुड़कर क्यों नहीं देखते और पीछे मुड़कर देख लिया तो क्या होगा

7 अगस्त 2021 को दो दोस्त मेहंदीपुर बालाजी के मंदिर में दर्शन करने के लिए जाते हैं लेकिन जैसे ही वो दोनों दोस्त दर्शन करने के बाद मंदिर से बाहर लौटने लगते हैं तभी उनमें से एक दोस्त को पीछे से उसकी दादी आवाज लगाती है कि बेटा क्या तुम मुझे अपने घर लेकर नहीं चलोगे और अपनी दादी की आवाज सुनकर वह लड़का मेहंदीपुर बालाजी के नियम पूरी तरह से भूल जाता है और पीछे मुड़कर देख लेता है.

लेकिन इसके बाद जो उस लड़के के साथ घटना घटी उस घटना के बाद आज भी वो लड़का डर के साए में जीता है और अगर उस दिन हनुमान जी उनकी रक्षा ना करते तो शायद उसकी जान बच पाना भी नामुमकिन थी तो नमस्कार दोस्तों मैं हूं विकास राजपूत तो चलिए आज की इस पोस्ट में हम जानते हैं मेहंदीपुर बालाजी की एक खौफनाक भूतिया घटना के बारे में |

Note

कृपया ध्यान दें कि ये कहानी बिल्कुल असली घटना पर आधारित है इस कहानी में बताई गई है हर एक बात रियल घटना पर आधारित है बस इस कहानी के पात्रों के नाम कुछ हद तक बदल दिए गए हैं इस कहानी का मकसद किसी की भी भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है। 

Real Horror Story Of Mehandipur Balaji

दो दोस्त जाते हैं मेहंदीपुर बालाजी

दोस्तों हमारी ये कहानी है दो दोस्तों की जिनमें से एक का नाम रवि और दूसरे का नाम विक्रम था और ये दोनों ही दोस्त बालाजी के परम भक्त हुआ करते थे और अक्सर ये मेहंदीपुर बालाजी के दरबार में जाते ही रहते थे क्योंकि ये मेहंदीपुर बालाजी से महज 5 से 6 किलोमीटर की दूरी पर ही रहते थे इसी वजह से ये मेहंदीपुर बालाजी की सभी नियमों के बारे में भी जानते थे.

जैसे की मंदिर के प्रांगण में दर्शन करने के बाद किसी से भी कोई भी प्रसाद या फिर कोई भी और चीज नहीं लेनी है और मंदिर में दर्शन करके लौटते समय पीछे मुड़कर तो बिल्कुल भी नहीं देखना है और दोस्तों इन सब बातों के बारे में ये दोस्त अच्छे तरह से जानते थे लेकिन 7 अगस्त 2021 को इन्हीं दोस्तों के द्वारा एक ऐसी गलती हो जाती है जिसका इन्हें बहुत बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ता है |

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मंदिर के प्रांगण में विक्रम को पीछे से आवाज दी उसकी मरी हुई दादी ने

दोस्तों 7 अगस्त 2021 को ये दोनों दोस्त जब मेहंदीपुर बालाजी के दरबार में दर्शन करने के बाद अपने घर की तरफ लौट ही रहे थे की मंदिर के प्रांगण में पहुंचने के बाद उनमें से एक दोस्त विक्रम की दादी उसे पीछे से आवाज लगाती है कि बेटा अकेले-अकेले कहां जा रहे हो क्या मुझे तुम अपने साथ घर पर लेकर नहीं चलोगे और दोस्तों विक्रम भी अपनी दादी से बहुत ज्यादा प्यार किया करता था.

इसीलिए अपनी दादी की आवाज सुनकर विक्रम मेहंदीपुर बालाजी के सारे नियम भूल जाता है और वो ये तक भी भूल जाता है कि उसकी दादी तो वर्षों पहले मर चुकी है और वह तुरंत पीछे मुड़कर देखता है लेकिन जब वह पीछे मुड़कर देखता है तो वो पाता है कि पीछे कोई भी नहीं है यह महज एक छलावा था और फिर उसका दोस्त रवि उसे जोर से कहता है.

कि क्या तुम मेहंदीपुर बालाजी में पहली बार आए हो क्या तुम मेहंदीपुर बालाजी के सभी नियम भूल गए क्या तुम मेहंदीपुर बालाजी के नियम नहीं जानते हो तुमने पीछे मुड़कर क्यों देखा तब दोस्तों विक्रम यह बात सुनकर और भी ज्यादा घबरा गया लेकिन तब रवि कहता है कि तुम घबराओ मत और हनुमान चालीसा का जाप करते रहो और चलो घर चलते हैं कुछ नहीं होगा हमारे साथ हनुमान जी हैं और दोनों ही दोस्त अपनी गाड़ी में हनुमान जी से अपनी रक्षा की प्रार्थना करके अपने घर की तरफ लौटने लगते हैं |

बीच रास्ते में हुई उनकी कार खराब

दोस्तों जैसे ही वो दोनों दोस्त कार में अपने घर की तरफ लौटने लगते हैं तभी बीच रास्ते में अचानक ही एक बरगद के बड़े से पुराने पेड़ के नीचे उनकी कार खराब हो जाती है और जैसे ही उनकी कार बंद हुई तो अंधेरा ज्यादा होने की वजह से दोनों दोस्तों को घर पर लेट हो रही थी इसीलिए दोनों ही दोस्त काफी जल्दी से कार से बाहर निकले और कार का बोनट खोलने लगे.

Real Horror Story Of Mehandipur Balaji: मेहंदीपुर बालाजी में पीछे मुड़कर क्यों नहीं देखते और पीछे मुड़कर देख लिया तो क्या होगा

लेकिन उसी समय अचानक ही बिना बादल जोर-जोर से बारिश होने लगती है और इसके बाद पता नहीं उन दोनों ही दोस्तों को क्या हो जाता है कि वो दोनों ही दोस्त अपनी कार के अंदर जाने के बजाय उस बड़े बरगद के पेड़ की पेडी से लिपटकर खड़े हो जाते हैं लेकिन वहां पर जो दृश्य उन्होंने देखा वह देखकर तो उन दोनों ही दोस्तों के डर की कोई सीमा ही नहीं रही |

विडियो देखे 

दोनों दोस्तों ने देखी बरगद के पेड़ के नीचे सफ़ेद साड़ी में भूतनी

दोस्तों जैसे ही वो दोनों दोस्त बारिश की वजह से उस बड़े डरावने बरगद के पेड़ के नीचे खड़े हुए तब उनमें से एक दोस्त ने देखा है कि उस पेड़ की पिछली तरफ एक 16 से 17 साल की लड़की सफेद साड़ी में इतने तूफान के अंदर दीपक जलाकर पूजा कर रही थी ये देखकर दोनों ही दोस्त काफी ज्यादा घबरा गए क्योंकि कोई इतनी आंधी के अंदर पूजा कैसे कर सकता है और दोस्तों जैसे ही वो दोनों दोस्त उस लड़की के करीब जाने की कोशिश करते हैं.

तो वो लड़की अचानक गायब हो जाती है जिसके बाद तो उन दोनों ही दोस्तों के पैरों के नीचे से जमीन ही निकल गई और जैसे ही वो दोस्त उस लड़की को देखकर पीछे वापस मुड़ने लगते हैं तो उसी बरगद के पेड़ की टहनी के ऊपर वही लड़की बूढी औरत के रूप में बैठी थी और दोस्तों ये देखकर दोनों दोस्त काफी ज्यादा डर गए लेकिन उन दोनों दोस्तों में से रवि थोड़ा निडर प्रकार का था और वो विक्रम से कहता है..

Real Horror Story Of Mehandipur Balaji: मेहंदीपुर बालाजी में पीछे मुड़कर क्यों नहीं देखते और पीछे मुड़कर देख लिया तो क्या होगा

कि तुम डरो मत बस हनुमान चालीसा का जाप करते रहो और दोस्तों जैसे ही दोनों दोस्त हनुमान चालीसा का जाप करते हैं तो एक जोरदार आंधी चलने लगती है और जोरदार बारिश होने लगती है लेकिन दोस्तों इन सब से विक्रम काफी ज्यादा डर गया और उसके मुंह से हनुमान चालीसा तक नहीं निकल रही थी लेकिन दोस्तों अब जो उनके साथ होने वाला था ये दोनों दोस्तों ने कभी नहीं सोचा था

दोनों दोस्तों की बालाजी ने मदद

दोस्तों जब रवि जोर-जोर से हनुमान चालीसा का पाठ कर ही रहा था कि तभी अचानक उसकी नजर उसकी कार के अंदर रखी एक हनुमान जी की छोटी सी मूर्ति पर जाती है जिससे एक अजीब प्रकार की अलौकिक शक्ति या फिर एक चमक बाहर निकल रही थी जो कि मानो रवि को अपनी तरफ खींच रही थी और दोस्तों इस रोशनी की तरफ रवि इस प्रकार से आकर्षित होता है कि वह उसकी तरफ खींचा ही चला जाता है.

लेकिन जैसे ही रवि आगे चलने की कोशिश करता है तो उसका दोस्त विक्रम उसे दोबारा पीछे खींच लेता है और कहता है कि तुम कहां जा रहे हो क्योंकि दोस्तों विक्रम काफी ज्यादा डर गया था इसीलिए उस पर शैतानी शक्तियाँ हावी हो चुकी थी लेकिन दोस्तों रवि ने अपनी पूरी ताकत से विक्रम को काफी जोर से खींचा और अपनी गाड़ी के पास ले गया जहां पर जैसे ही उसने हनुमान जी की मूर्ति को विक्रम के सामने दिखाई.

तब विक्रम पूरी तरह से शांत हो गया और वह बिल्कुल नॉर्मल हो गया और दोनों ही दोस्त गाड़ी के अंदर बैठ जाते हैं लेकिन जैसे ही रवि गाड़ी को स्टार्ट करने की कोशिश करता है तो गाड़ी अपने आप ही ऑटोमेटिक चमत्कारी गाड़ी स्टार्ट हो जाती है.

Note:-
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दोनों दोस्त दोबारा गए मेहंदीपुर बालाजी

दोस्तों जैसे ही उनकी कार स्टार्ट हुई तो रवि अपनी कार को तुरंत वापस मोड़ता है और दोनों दोस्त दोबारा मेहंदीपुर बालाजी जाने लगते हैं लेकिन विक्रम पर शैतानी शक्तिया हावी हो चुकी थी इसीलिए वह रवि को रोकने का काफी प्रयास करता है उसे मना करता है लेकिन रवि विक्रम की एक भी बात नहीं सुनता है और वह अपनी कार की स्पीड बढ़ा लेता है और दोनों दोस्त काफी जल्द मेहंदीपुर बालाजी के मन्दिर पहुंच जाते हैं |

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रवि ने बताई पुजारी को सारी घटना

दोस्तों जैसे ही दोनों दोस्त मेहंदीपुर बालाजी के दरबार में पहुंचे तो वहां पर रवि ने अपने साथ घटी सारी घटना वहां के पुजारी जी को बताई और वहां के पुजारी जी ने रवि और उसके दोस्त के नाम की एक पूजा की और उन्हें एक ताबीज बांधा जिससे कि दोनों बिल्कुल नॉर्मल हो गए और विक्रम को तो उसके साथ पिछले दो से तीन घंटा में क्या हुआ है वो कुछ भी याद नहीं था उसे केवल इतना याद था.

कि वह मेहंदीपुर बालाजी से अपने घर की तरफ जा रहे थे लेकिन वो वापस कैसे यहां पर पहुंचे यह विक्रम को बिल्कुल भी याद नहीं था हालांकि दोस्तों रवि को सब कुछ याद था लेकिन वो विक्रम को कुछ भी नहीं बताता है और बातों बातों में उसकी बातों को टाल देता है जिसके बाद दोनों ही दोस्त पुजारी जी की इजाजत लेकर अपने घर चले जाते हैं |

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रवि ने बताई अपनी मां को सारी बातें और मां ने बंधाई रवि की हिम्मत

दोस्तों पुजारी जी द्वारा इजाजत देने के बाद दोनों दोस्त अपने घर पर चले जाते हैं हालांकि दोस्तों विक्रम बिल्कुल नॉर्मल था और उसे कुछ भी याद नहीं था इसीलिए वह घर जाकर चैन से सो जाता है लेकिन दोस्तों रवि ने इस मंजर को बहुत करीब से देखा था इसीलिए वह काफी ज्यादा डर गया था लेकिन उसे यह पता था कि हनुमान जी जब तक उसके साथ है तब तक उसका कोई भी बाल बांका नहीं कर सकता है.

लेकिन दोस्तों फिर भी उसके मन में एक अजीब सा डर बैठ गया था और जैसे ही अगली सुबह हुई तो उसने अपनी मां को सारी बातें बताई और अपनी मां से कहा कि माँ मैं तो बालाजी का इतना बड़ा भक्त हूं तो मेरे साथ यह घटना कैसे घटी तब उसकी मां ने कहा कि बेटा यह तो एक अनहोनी थी और अनहोनी को घटित होने से कोई भी नहीं रोक सकता है और ये तो अच्छा है कि तुम्हारे साथ बालाजी की शक्तियां है.

जिसकी वजह से तुमने तुम्हारे दोस्त की जान बचा ली वरना तुम तुम्हारे दोस्त की जान कभी नहीं बचा पाते इसके बाद दोस्तों फिर से रवि की हिम्मत बंधी और वो हर रोज आज मेहंदीपुर बालाजी के दरबार में अपने दोस्त विक्रम के साथ जाता है और आज दोनों ही दोस्त काफी ज्यादा खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं |

निष्कर्ष

खैर आपका इस पूरी घटना के बारे में क्या बोलना है हमें नीचे कमेंट सेक्शन में जरूर बताना और इस पोस्ट को अपने दोस्तों से शेयर जरूर करें |

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