आसमान में टूट गया प्लेन का पिछला हिस्सा और चली गयी 524 लोगो की जान, जापान का सबसे खतरनाख प्लेन हादसा

12 अगस्त 1985 को जापान एयरलाइंस की फ्लाइट संख्या 123 जापान के टोक्यो शहर से ओसाका जाने के लिए उड़ान भरती है लेकिन उड़ान भरते समय पायलेट्स के द्वारा एक ऐसी गलती हो जाती है जिसकी वजह से 524 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है और यह फ्लाइट उड़ान भरने के महज कुछ ही देर बाद 24,000 फुट की ऊंचाई पर पहुंचने के बाद एक जोरदार धमाके के साथ एक पहाड़ी से टकराकर क्रेश हो जाती है.

तो चलिए आज की इस पोस्ट में जानते हैं कि कैसे हुआ जापान का सबसे खतरनाक प्लेन हादसा और इसमें कितने लोगों की जान गई और इस हादसे की वजह क्या थी क्या इस हादसे में पायलट का हाथ था या फिर एयरलाइंस कंपनी की गलतियां थी चलिए जानते हैं |

जापान का सबसे खतरनाख प्लेन हादसा

कहां से भरी थी प्लेन ने उड़ान

दोस्तों 12 अगस्त 1985 को जापान एयरलाइंस की फ्लाइट नंबर 123 जापान के टोक्यो शहर के होनेड़ा हवाई अड्डे से ओसाका जाने के लिए शाम को 6:12 पर सफलतापूर्वक उड़ान भरती है |

इस फ्लाइट को अपनी डेस्टिनेशन पर पहुंचने में कितना समय लगने वाला था

दोस्तों इस फ्लाइट को अपने डेली रूट पर टोक्यो से ओशाखा जाने के लिए 1 घंटे का समय लगने वाला था लेकिन जब यह फ्लाइट उड़ान भरती है तभी पायलेट्स के द्वारा एक ऐसी मिस्टेक हो जाती है जिसकी वजह से 524 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है |

हवाई जहाज में कितने लोग सवार थे

दोस्तों यह जापान की प्लेन पूरी तरह से बुक थी क्योंकि वह शाम जापान के फेमस फेस्टिवल ओवान की पूर्व रात्रि थी इसीलिए सभी लोग अपने रिश्तेदारों के घर जाना चाहते थे इसीलिए प्लेन पूरी तरह से बुक था इस हवाई जहाज के अंदर 509 यात्री 12 क्रूमेंबर्स दो पायलट और एक हवाई जहाज इंजीनियर सवार थे |

आसमान में टूट गया प्लेन का पिछला हिस्सा और चली गयी 524 लोगो की जान. जापान का सबसे खतरनाख प्लेन हादसा

प्लेन के साथ आसमान में क्या हुआ

दोस्तों जैसे ही यह प्लेन टोक्यो से सफलतापूर्वक उड़ान भरता है तभी उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद जब यह हवाई जहाज 24,000 फीट की ऊंचाई पर पहुंचता है तभी एक जोरदार धमाका होता है और तेज हवाओं की वजह से प्लेन का पिछला हिस्सा टूटकर अलग हो जाता है यह धमाका इतना ज्यादा खतरनाक था की हवाई जहाज का पिछला हिस्सा टूटते ही हवाई जहाज के अंदर रखे यात्रियों का सामान और भी हवाई जहाज के जरूरी पार्ट अलग हो जाते हैं.

क्योंकि उस दिन जापान में बहुत ही खतरनाक तूफान आने की संभावना बताई जा रही थी इसी वजह से तेज हवाएं चल रही थी दोस्तों इस धमाके के बाद पूरा प्लेन डगमगा उठता है और पूरा प्लेन टेढ़ा हो जाता है और एक पंख कटे पक्षी की तरह प्लेन आसमान में उड़ रहा था.

हालांकि इस प्लेन के अंदर बैठे पायलेट्स को अच्छा खासा प्लेन को उड़ाने का अनुभव था क्योंकि यह प्लेन के सीनियर पायलट का आज आखिरी इम्तिहान था क्योंकि इसके बाद उसे इस प्लेन का कप्तान घोषित किया जाना था इसीलिए पायलट अपनी पूरी जान लग रहा था प्लेन को काबू में करने की लेकिन फिर भी प्लेन कबूल नहीं हो रहा था और प्लेन और भी ज्यादा टेढ़ा होता जा रहा था.

दोस्तों इस धमाके के बाद प्लेन के सभी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस काम करने बंद कर देते है जिससे कि पायलेट्स को ना तो ये पता चल पाता है कि हम कितनी ऊंचाई पर उड़ रहे हैं और ना ये पता चल पाता है कि वह किस जगह है और ना ही यह पता लग पा रहां था कि प्लेन सीधा उड़ रहा है या फिर अभी भी टेढ़ा है.

और जैसे ही प्लेन का धमाका हुआ तो प्लेन 24,000 फीट की ऊंचाई पर ऑटोमेटिक तरीके से यात्रियों के ऑक्सीजन मास्क नीचे लटकने लगे जिनमे महज 15 मिनट की ऑक्सीजन थी इसीलिए पायलट को जो भी करना था इस 15 मिनट के अंदर ही करना होगा |

आखरी 15 मिनट के अंदर पायलेट्स ने क्या किया

दोस्तों धमाके के बाद पूरा प्लेन पायलेट्स के कंट्रोल से बाहर होता जा रहा था इसीलिए पायलट ने सबसे पहले एयर ट्रैफिक ग्रुप कंट्रोल रूम से कांटेक्ट करने की कोशिश की लेकिन ऊंचाई ज्यादा होने की वजह से पायलेट्स को सही तरह से ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही थी और उनका ऑक्सीजन मास्क भी खत्म हो चुका था.

इसीलिए पायलेट्स हाइड्रोक्सीयाँ का शिकार हो गए थे हाइड्रोक्सीयाँ एक ऐसी बीमारी होती है जो की ऑक्सीजन की कमी की वजह से होती है इसमें आदमी ना तो सही तरह से कुछ सोच पता है और ना ही सही तरह से कुछ बोल पाता है और आदमी बेहोश होने की स्थिति में चला जाता है.

इसीलिए पायलट एयर ट्रैफिक कंट्रोल रूम की किसी भी बात को सही तरह से नहीं समझ पा रहा था लेकिन तभी इस प्लेन के अंदर बैठा एयरप्लेन इंजीनियर पायलट को एक ऑक्सीजन मास्क देता है जिसके कुछ मिनट बाद पायलेट्स की हालत में सुधार होता है और वह एयर ट्रैफिक कंट्रोल रूम से कम्युनिकेशन कर पाते हैं और एयर ट्रैफिक कंट्रोल रूम द्वारा उन्हें कहा जाता है कि.

वह कैसे भी करके प्लेन को 10,000 फीट की ऊंचाई पर लाए ताकि एरोप्लेन में बैठे यात्री बिना ऑक्सीजन मास्क के भी सही तरह से सांस ले पाए और आप प्लेन को वापस टोक्यो लाने की कोशिश करें लेकिन इस धमाके के बाद प्लेन के सारे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस खराब हो चुके थे और प्लेन का लैंडिंग गियर भी काम नहीं कर रहा था जिसकी वजह से ना तो प्लेन ऊपर जा सकता था और ना ही प्लेन नीचे आ सकता था और ना ही प्लेन दाएं मुड़ सकता था न हीं बाएँ मुड़ सकता था.

लेकिन भाग्यपूर्ण प्लेन का इंजन थ्रस्ट सहित तरह से वर्क कर रहा था इसीलिए पायलट ने थ्रस्ट को डाउन कर दिया जिससे कि प्लेन काफी तेजी से नीचे आने लगा लेकिन जैसे ही प्लेन 10,000 फीट की ऊंचाई पर पहुंचा तभी पायलेट्स को उनके सामने माउंटेन ओसुताका की पहाड़ियां दिखाई देने लगी जिससे कि पायलट ने बिना कुछ सोते समझे ही प्लेन के थ्रस्ट को वापस मैक्सिमम कर दिया.

जिससे कि प्लेन अपनी पूरी क्षमता के साथ और फुल स्पीड के साथ ऊपर की ओर जाने लगा जिसे पायलट के हाथों से प्लेन और भी ज्यादा बेकाबू हो गया और प्लेन में काफी सारे अलार्म बजने लगे अब पायलेट्स को केवल अपनी आंखों के सामने मौत दिखाई दे रही थी.

पायलेट्स को यात्रियों और अपनी जान बचाने के लिए कोई भी उम्मीद नहीं दिखाई दे रही थी प्लेन पायलेट्स के हाथों से देखते ही देखते बेकाबू होता जा रहा था की तभी सेकंड पायलट ने सीनियर पायलट से कहा कि उन्हें हवाई जहाज के फ़्लैब्स को कम करना होगा ताकि प्लेन लेवल में आ सके और फ़्लैब्स को कम करते ही प्लान धीरे-धीरे सीधा होने लगा.

और अब ये पहली बार हुआ था कि प्लेन उड़ान भरने के बाद पहली बार सीधा उड़ रहा था पायलट का मन शांत हुआ और उन्हें लगा कि वह अब यात्रियों की जान को बचा लेंगे लेकिन उन्हें ये नहीं पता था कि यही सीधा प्लेन उनके लिए एक बड़ी मुसीबत लेकर आएगा दोस्तों कुछ मिनट बाद फ़्लैब्स एक जगह रुकने की बजाय और भी ज्यादा बढ़ गया

जिससे कि प्लेन फिर से टेढ़ा हो गया और अबकी बार प्लान के एक तरफ पंखों में ज्यादा दबाव होने की वजह से प्लेन का पंख सीधा नीचे की पहाड़ी पर जाकर टकरा गया और एक जोरदार धमाका हुआ फिर और प्लेन जोरदार स्पीड के साथ सामने की एक बड़ी पहाड़ी से टकरा गया और जोरदार धमाके के साथ प्लेन पूरी तरह से क्रश हो गया.

और ये हादसा इतना ज्यादा खतरनाक था कि एयर ट्रैफिक कंट्रोल रूम को किसी भी व्यक्ति के बचने की और कोई भी उमीद दिखाई नही दे रही थी और इस हादसे में करीब 524 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई इसके बाद कई घंटे लग गए जाते है बचाव टीम को घटनास्थल पर पहुंचने में……

रेस्क्यू टीम को घटनास्थल पर देरी से क्यों पहुंच गयी

दोस्तों यह प्लेन हादसा इतना ज्यादा खतरनाक था कि जापान की सरकार को लगता था कि इस प्लेन हादसे में किसी भी व्यक्ति की जान नहीं बची होगी इसीलिए मौसम के खतरे को देखते हुए जापान की सरकार ने उस समय रेस्क्यू टीम को घटनास्थल पर भेजना उचित नहीं समझा क्योंकि उन्हें लगा कि अगर इस खराब मौसम में रेस्क्यू टीम को घटनास्थल पर भेजा गया तो उनकी जान को भी खतरा हो सकता है इसीलिए घटनास्थल पर रेस्क्यू टीम को भेजने में 12 घंटे से ज्यादा का समय लग गया और जब घटनास्थल पर 12 घंटे के बाद बचाव टीम पहुंची.

तो उन्होंने देखा की वहां पर 524 में से केवल चार व्यक्ति ही जीवित थे जिन्हें तुरंत अस्पताल में पहुंच जाया गया और बाकी बचे 520 लोगों की मौत हो चुकी थी अगर बचाव टीम को पहले भेजा जाता था तो शायद हो सकता था कि इससे भी ज्यादा लोगों की जान बचाई जा सकती थी……..

आसमान में टूट गया प्लेन का पिछला हिस्सा और चली गयी 524 लोगो की जान. जापान का सबसे खतरनाख प्लेन हादसा

जांच में किसकी गलतियां सामने आई

दोस्तों इस घटना के बाद काफी सारी जांच की गई और जांच में जापान एयरलाइंस कंपनी की काफी सारी गलतियां सामने आई जांच में सामने आया कि यह प्लेन इस घटना के 7 साल पहले भी लैंडिंग करते समय जमीन से टकरा गया था जिससे की इसके पिछले भाग में दरार हो गई थी और पिछला भाग डैमेज हो गया था जिसे उस समय नॉर्मल तरीके से रिपेयर किया गया था लेकिन बाद में इसका कोई ध्यान नहीं रखा गया.

इसमें समय के साथ काफ सारी दरारे हो गई जिससे कि यह हवा का प्रेशर नहीं झेल पाई और जरा सी हवा का प्रेशर के साथ प्लेन का पिछला हिस्सा टूटकर अलग हो गया और प्लेन क्रैश होने की वजह बन गया |

दोस्तों दूसरी गलती यह सामने आई कि यह प्लेन हादसा एयरलाइन कंपनी की गलती की वजह से हुआ था क्योकि एयरलाइन्स कंपनी को समय रहते ही प्लेन का रखरखाव करना चाहिए था कंपनी को प्लेन की समय पर मरम्मत करनी चाहिए थी क्योंकि अगर मरम्मत सही तरह से की गई होती तो इतना बड़ा हादसा नही होता |

इस घटना के बाद क्या किया गया

दोस्तों इस बड़े हादसे के बाद जापान की एयरलाइंस कंपनी ने अपनी प्लेनों पर ध्यान देना शुरू कर दिया और उनका समय-समय पर रखरखाव का काम करने लगी और इस कंपनी ने अपनी प्लेन को और भी ज्यादा बढ़िया तरीके से डिजाइन करना शुरू कर दिया जिससे की हवा के प्रेशर से ऐसा खतरनाक हादसा दोबारा ना हो लेकिन दोस्तों अगर यह बदलाव यह कंपनी पहले कर लेती तो शायद 524 लोगों की मौत ना होती और उन्हें अपनी जान से हाथ ना धोना पड़ता |

निष्कर्ष

दोस्तों में आसा करता हूं कि आपको यह मजेदार जानकारी जरूर पसंद आई होगी मैंने आपको इस पोस्ट के अंदर बड़ी ही सरल और आसान भाषा में जापान के खतरनाक हादसे के बारे में बताया है कि कैसे एक छोटी सी गलती की वजह से 524 लोगों ने अपनी जान गवा दी कैसे हुआ यह खतरनाक हादसा मैंने आपको इस पोस्ट के अंदर बड़ी ही सरल भाषा में बताया है इसीलिए इस पोस्ट को अपने दोस्तों से शेयर जरुर करे |